Mar 20, 2016

एक एक पल

एक एक पल को याद रखते थे तुम
पल्कों पे बिटा के रखते थे तुम

चाहता था तुम्हें जिंदगी से बढकर
पाया था तुमको क्वाबों में उतरकर

आज उसी पलकों के तले आँसुओं का आना जाना हैं
करीब जो था कल सभ से, आज वहीं बेगाना हैं

आज भी खुश्बू तेरी हवाओं पे झूमती हैं
कानों में कोई बात कहें जाय तो कभी होटों को छूमती है

कह गई सब कुछ खामोशी बाते वो अन कहीं
रह गई हैं साँसे मगर, जिंदा तो हम नहीं

मालूम है तुम साथ नहीं
फिर भी आँखें तरस थी हैं

कभी मासूम सा हँसी देता हैं तो कभी झूमक

छुबती है हर वो फल
जो साथ तेरी बिताई है

थाम सा गया आज फिर से
धडकन जो तेरी याद आयी है।

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